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69+ ishq shayari for lovers | इश्क शायरी

ishq shayari



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आज देखा है तुझ को देर के बअ'द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं


मसअला ये नहीं कि इश्क़ हुआ है हम को
मसअला ये है कि इज़हार किया जाना है




एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता




होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है






तोहफ़ा, फूल, शिकायत, कुछ तो लेकर जा
इश्क़ से मिलने ख़ाली हाथ नहीं जाते




सौ सौ उमीदें बँधती है इक इक निगाह पर
मुझ को न ऐसे प्यार से देखा करे कोई


थोड़ी जल्दी आया करो मिलने के लिए ,
हमारा दिल नहीं बना
तुमसे दूर रहने के लिए।



खुशबू से है वो
जब आसपास भी नहीं होते
फिर भी महसूस होते है।



लिखने को हर दिन आधा इश्क़ लिखता हूँ ,
तुम आओगे तभी तो पूरा होगा।



हर वक़्त फ़िराक में रहता है ,
ये मेरा इश्क़ तुमसे मिलने को कहता है।





लगता है इश्क़ अपने
उसूलों पे कायम ही रहेगा ,
ये कल भी तकलीफ देता था
और आगे भी तकलीफ देगा।





क़र्ज़ चढ़ गया है अब
तुम पर मेरे प्यार का ,
तो सवाल ही नहीं उठता
तुम्हारे इंकार का।




तेरी मुस्कान पर ये दिल दीवाना हो गया
तेरी मोहब्बत में मैं फना हो गया.!!





जब होना होता है
तब होके रहता है ,
ये इश्क़ है इस पर
किसका ज़ोर चलता है।





हर दिन याद कर
हाज़िरी लगा देते है ,
तुम्हारे दिल में पल रहे
हमारे इश्क़ की।



होशवालों को खबर क्या
कि बेखुदी क्या चीज़ है,
इश्क़ कीजिये फिर समझिये
कि ज़िंदगी क्या चीज़ है।




क्यो इश्क की उम्र नही होती
वो आग है जो कम नही होती
दरमियां हो दूरियां चाहे जितनी
क्यो नज़दीकियां कम नही होती.!!


इतनी मोहब्बत तो
मैंने खुद से भी नही की है
जितनी सनम मुझे तुमसे हो गयी है.!!




मेरा बस चले तो
मैं आपको कभी भी पल भर के
लिए भी खुद से दूर ना जाने दू.!!




मेरे लिए प्यार के मायने बस इतने से है
कि तुम मेरे दिल में रहो
और मैं तुम्हारे ख्वाबो में रहूं..!




मैं भी हुआ करता था वकील इश्क
वालों का कभी नज़रें उससे क्या मिलीं
आज खुद कटघरे में हूँ !




बहती हुई आँखों की रवानी में मरे हैं,
कुछ ख्वाब मेरे ऐन जवानी में मरे हैं,
इस इश्क ने आखिर हमें बरबाद किया है,
हम लोग इसी खौलते पानी में मरे हैं,
कब्रों में नहीं हमको किताबों में उतारो,
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरे हैं।




फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है…




इश्क का तो पता नहीं पर
जो तुमसे है वो किसी और से नहीं !


चाँद मेरी ज़िंदगी में तब लग जाएँगे जब मेरे
एहसासों के साथ-साथ उनके ज़ज़्बात भी जग जाएंगे !


भटक जाते हैं लोग अक्सर
इश्क़ की गलियों में,
इस सफर का कोई इक
नक्शा तो होना चाहिए।


सुना है इश्क़ से तेरी बहुत बनती है,
एक एहसान कर उस से क़सूर पूछ मेरा।


शायरी उसी के लबों पर सजती है साहेब,
जिसकी आँखों में इश्क रोता हो।






बरसों से कायम है इश्क़ अपने उसूलों पर,
ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है.




बंद कर दिए हैं हमने तो दरवाजे इश्क के
पर कमबख़्त तेरी यादें तो दरारों से ही चली आई..




इश्क की गहराईयों में.. खूबसूरत क्या है..!!

एक मैं हूँ, एक तुम हो और ज़रुरत क्या है..!!




खतम हो गई कहानी, बस कुछ अलफाज बाकी हैं;
एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी है।




इश्क़ ने हमे बेनाम कर दिया,
हर खुशी से हमे अंजान कर दिया,
हमने तो कभी नही चाहा की हमे
भी मोहब्बत हो,
लेकिन तुम्हारी एक नज़र ने
हमे नीलाम कर दिया…